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Dr.Pratik Prabhakar

Classics

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Dr.Pratik Prabhakar

Classics

रिश्तों की पोटली

रिश्तों की पोटली

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हम सभी हैं हिस्सा

पोटली रिश्तों की

यारी, जिम्मेदारी

है फरिश्तों की।


कभी संग छूटेगा

कभी दिल टूटेगा

करेले सी कड़वी

कभी पिस्तों सी।

हम सभी हिस्सा

पोटली रिश्तों की।


कोई पृष्ठ है फटा

कोई रंगों से पटा

अलग अलग सभी

समूह जिस्तों की।

हम सभी हिस्सा

पोटली रिश्तों की।


कुछ चुकाए गये

कुछ भरमाये गये

समय पर चुका दो

रुपये किस्तों की।

हम सभी हिस्सा

पोटली रिश्तों की।


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