रिश्तों की डोर
रिश्तों की डोर
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नाजुक डोर हर रिश्तों की,
कुछ इस कदर थामे रखना,
की उलझे न कोई डोर यूँ,
की सुलझे ना,
हाँ गुंथे रखना इस कदर,
की हो मजबूत, और टूटे ना।