Krishna Sinha
Inspirational
नाजुक डोर हर रिश्तों की,
कुछ इस कदर थामे रखना,
की उलझे न कोई डोर यूँ,
की सुलझे ना,
हाँ गुंथे रखना इस कदर,
की हो मजबूत, और टूटे ना।
वो नन्ही पीड़...
हुनर
मेरे लिए खास
राष्ट्र की खा...
तमाशा
हम रेगिस्तान ...
अक्स
राज
यूँ ही
नन्ही गौरिया
लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा.. लूट गया सब कुछ यूं खड़ा खड़ा बूंद बूंद वो गिर पड़ा..
दुनिया भर की रस्में भी वो सारी निभाती है, माँ न जाने ये सब कैसे कर पाती है दुनिया भर की रस्में भी वो सारी निभाती है, माँ न जाने ये सब कैसे कर पाती है
अति द्रवित हुआ मन देखा जो मानव के अनेक दुखों को अति द्रवित हुआ मन देखा जो मानव के अनेक दुखों को
उनके त्याग का कोई मोल नहीं, "मां " बाती तो, "पिता" तेल बन" स्वयं जला "करते उनके त्याग का कोई मोल नहीं, "मां " बाती तो, "पिता" तेल बन" स्वयं जला "करते
अपने हिस्से की हर ख़ुशी तू बच्चों को देती है हाँ माँ, तुम-सा इस जहां में कोई नहीं है। अपने हिस्से की हर ख़ुशी तू बच्चों को देती है हाँ माँ, तुम-सा इस जहां में कोई ...
भाईचारे के संग संग भाव वसुधैव कुटुम्ब का भर देता। अगर मैं प्रभु होता। भाईचारे के संग संग भाव वसुधैव कुटुम्ब का भर देता। अगर मैं प्रभु ...
ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है। ये सब सहने की आदत नहीं पर संस्कार होता है।
हर जन्म तू ही मेरी माँ बनें ख़ुदा से यहीं दुआ मांगता हूं। हर जन्म तू ही मेरी माँ बनें ख़ुदा से यहीं दुआ मांगता हूं।
मोह ममता के तानों बानों से बुनी ये जिल्द अपने पन्नों को खुद में जैसे समेटे रखतीं हैं मोह ममता के तानों बानों से बुनी ये जिल्द अपने पन्नों को खुद में जैसे समेटे रख...
इस बदलाव में खुद को ढलने की इस उम्मीद में की एक सफल परिंदा। इस बदलाव में खुद को ढलने की इस उम्मीद में की एक सफल परिंदा।
जय हो हर हतभागी जय हो हर हतभागी
बस कहता रहे ये मन मेरा कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा मैं पथिक बस कहता रहे ये मन मेरा कि डरूंगा, ना झुकूंगा, ना रुकूंगा मैं पथिक
कड़ाई से ये जताने चले हैं। कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं। कड़ाई से ये जताने चले हैं। कोरोना को रोक देश बचाने चले हैं।
चंहुओर सुख शांति फैलाएगी वो सुबह कभी तो आएगी। चंहुओर सुख शांति फैलाएगी वो सुबह कभी तो आएगी।
प्राणी प्राण में परमेश्वर का सत्य सत्यार्थ बुद्ध का दिव्य दिव्यार्थ। प्राणी प्राण में परमेश्वर का सत्य सत्यार्थ बुद्ध का दिव्य दिव्यार्थ।
सूखे पत्तों की भी अहमियत है। सूखे पत्तों की भी अहमियत है।
जो हुआ भूलकर सब कुछ, हमे आगे बस बढ़ जाना हैं। जो हुआ भूलकर सब कुछ, हमे आगे बस बढ़ जाना हैं।
संरक्षण करें प्रकृति का शरण में रहकर, संतुलन बना रहना बड़ा जरूरी है, संरक्षण करें प्रकृति का शरण में रहकर, संतुलन बना रहना बड़ा जरूरी है,
आसानी से कहाँ मिलता कुछ, आते जाते जीवन मे सुख दुःख। आसानी से कहाँ मिलता कुछ, आते जाते जीवन मे सुख दुःख।
मेरे हर दुःख मैं खुद ही मुस्कान होती है वो माँ होती है। मेरे हर दुःख मैं खुद ही मुस्कान होती है वो माँ होती है।