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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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रिश्ते

रिश्ते

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रिश्तों का तो मोल यही है, बस दो मीठे बोल।

है ख़ुशियों की तिजोरी, ये रिश्ते होते अनमोल।


अपनों का जब साथ हो, हर दिन लगे मधुमास।

उलझे रिश्ते दुःख का कारण, सजा जैसे वनवास।


सुलझा लो चुपचाप सुनकर, बहस बिगाड़ती बात।

प्रेम के धागे में गूँथ लो मोती, रिश्ते होते सौगात।


विश्वास की भूमि पर पनपते, हर्षित हृदय अपार।

त्याग समर्पण से बन जाता, जीवन एक त्यौहार।


मन में रहे ना मैल कोई, देखो अपना भी तो दोष।

दूर कर लो शंका मन की, जीवन बने मधुकोष।


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