रिश्ते को
रिश्ते को
क्या नाम दूँ इस रिश्ते को
जो मे सालों से निभाती
आ रही हूँ !
क्या नाम दू इस रिश्ते को
जिससे तुम हमेशा
भागते आयी हो।
कैसे जुड़ो दिल की तार तुमसे
तुमतो पहली ही किसीकी दिल
की तर बन चुके हो !
यह तो बस मेरी खूबी है
जो हसीं बन के होठों पे
आज भी बिखर रही है
दोनों की खुशियाँ जाहिर जो
करती !
