BANDITA Talukdar
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कितना ख़ुश नसीब है हम
रिश्तों की पोटली में खिले है हम
कितना स्नेह आदर है इसमें
जिसमें खुद को सरहते है
इससे कैसे हम भागे
जाये तो जाये दुनिया वाले आगे
हम तो चलेंगे
रिश्तों की पोटली सजा के!
ज़िंदगी
आसू
फेरे
श्राद्ध
पुतले
कोशिश
हम
मां कहती थी
रिश्तों की पो...
रिश्ते को