STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

रहें नम्र ना करें अभिमान

रहें नम्र ना करें अभिमान

1 min
316

रहें प्रलोभन से हम बचते,

सदा लक्ष्य का रखें ध्यान।

प्रभु पर सदा भरोसा रखें,

रहें नम्र करें ना अभिमान।


निज कर्तव्य निभाते जाएं,

करें सदा सबका सम्मान।

सदा निर्बलों के बनें सहायक,

जो जीवन उनका हो आसान।

प्यार करें सदा अपने काम से,

मानें हम भगवन का अहसान।

प्रभु पर सदा भरोसा रखें,

रहें नम्र करें ना अभिमान।


आशीर्वादों के लिए करें शुक्रिया,

प्रभु से मिले हैं जो इतने वरदान। 

ना तो घमंड ना कुछ भी पछतावा,

अति विचित्र है यह सकल जहान।

अगणित निर्बल , श्रेष्ठ भी अगणित,

क्यों लघुता भाव या कुछ अभिमान?

प्रभु पर सदा भरोसा रखें,

रहें नम्र करें ना अभिमान।


अटल सत्य मृत्यु है इस जग का,

न करती भेद उसे सब एक समान।

जीवन की गति होती है भेदभाव की,

आजीवन हम करते रहते हैं अनुमान।

यह झूठा आडम्बर है क्षणिक देर का,

अपने सब हैं करें सबका ही सम्मान।

प्रभु पर सदा भरोसा रखें,

रहें नम्र करें ना अभिमान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational