रात
रात
ये रात सिर्फ सोने के लिए तो नहीं बनी होगी,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने,
कभी ख्यालों के समंदर में डुबकी लगाते,
तो कभी चाँद से घंटों बातें करते,
दिल का हाल कागज़ पर उतारते,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने,
कभी अपनी परछाई से बातें करते,
तो कभी अकेले आँसू बहाते,
और कलम की स्याही बहाते,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने,
कभी पुराने पलों में खोते,
तो कभी किसी बिछड़े सनम तो याद करते,
आँसुओं की सिहाई कागज़ पर उतारते,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने,
कभी टूट ते तारे का इंतज़ार करते,
तो कभी सितारों के जलसे तो निहारते,
या फिर अपने मेहबूब की तस्वीर को चाँद में ढूँढ़ते,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने,
मुझे हैै यकीन ये रात सिर्फ सोने के लिए तो नहीं बनी होगी,
शायरों को अक्सर रात भर जागते देखा है मैंने!