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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Inspirational

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अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'

Inspirational

रात है स्याह काली और चमकता चाँद

रात है स्याह काली और चमकता चाँद

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रात है स्याह काली और चमकता चाँद

अनगिनत तारे गगन में टिमटिमाते हैं।

शांत हैं चारों दिशाएँ, सो रही धरती,

झुरमुटों में दूर जुगनू टिमटिमाते हैं।


मंद-मंद बह रही हैं शीतल हवा,

तन-बदन को छू रोमांचित कर रही है।

रात बीती सुबह की बेला आ गई है,

सूर्य की किरणें अंगड़ाइयां ले रही हैं।


चाँद छिपने को चला है, छिप गये तारे,

सूरज की आगोश में तम सो गया है।

चारों ओर फैल गई हैं रश्मि की लड़ियाँ,

आभा से कण-कण पुलकित हो गया है।


रात-दिन का चक्र यह संदेश देता है,

जीवन में भी रात के बाद सुबह आती है।

जीवन को प्रकाश से भर नित यूँ ही चमके,

आशाओं के साथ सुबह जीना सिखाती है।


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