रास्ते
रास्ते
रास्ते खुद बनाये हैं मैंने.....
कंकड़ पत्थर भरे रास्तों से
दामन बचा .....
अड़चन दूर कर दिए
चाहा था सबने .....
शायद टूट कर
लौट जाउंगी.....
हार कर छोड़ सफर
थक जाउंगी......
पर हौसलों ने पकड़ रखा था
कुछ ऐसे.....
न टूटी हिम्मत
न हौसले हुए कम......
चलती रही बस सोच ये
ख़त्म होगी कभी तो ये
धूल भरी आंधी....
काले बादलों के पीछे से
आयेगी सुनहरी किरणें.....
गोद ले सहलायेगी मुझे
भर देगी आशाओं से फिर फिर....
मंज़िल मिलनी थी
मिल गयी एक दिन.....
क्योंकि
रास्ते खुद बनाये हैं मैंने।