राष्ट्रप्रेम गीत (14)
राष्ट्रप्रेम गीत (14)
हमने सीने में अपने हैं, खाई गोलियां।
पीठ हमने दिखाई, नहीं भागकर।।
मरते दम तक लड़े, हमने मारे रिपु ।
आंच हमने, मां आंचल पे आने न दी।।
त्राहि - त्राहि वो करके, हैं भागे रिपु ।
पीछा जा के ना हमने, हैं उनका किया।।
गर्ज के हमने बोला, है इतना उन्हें।
कायरों भाग जाओ, हम छोड़ दिया।।
तुम जो आए दुबारा, धरा पे मेरी।
अब धरा में धरे ही, रह जाओ तुम।।
हाल ऐसा करेंगे, तुम्हें मार हम।
जी न पाओगे तुम, न ही मर पाओगे।।
हम पकड़ के तुम्हें, लाये डाले जेल में।
अपनी करनी का फल,
तुम पा जाओगे।।
घुट - घुट के मरोगे, धरा पे मेरी ।
जिंदा वापस कभी, न ही जा पाओगे।।
