राष्ट्रप्रेम गीत (13)
राष्ट्रप्रेम गीत (13)
हम एक समय रोटी खाके,
डटे रहे मैदान में।
चिंता अपने तन की न है,
मस्तक मां के मान में।।
समय आये तो मां बहिनें भी,
गहने देती दान में।
समय आये तो रणचंडी बन,
उतर जायें मैदान में।।
ध्यान हमारा हरदम रहता,
भारत स्वाभिमान में।
मस्तक हमारा कट जाये पर,
नाम हो देश जहान में।।
हम कांधा से कांधा मिलकर,
लड़ते संग मैदान में।
भेद नहीं कोई भी जन में,
रहते हिंदुस्तान में।।
आगे - आगे बढ़कर मारे,
लड़ते संग मैदान में।
भेद नहीं हम कभी दिखाते,
जीए मरें मां शान में।।
