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Nidhi Singh

Drama

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Nidhi Singh

Drama

राशियों का खेल

राशियों का खेल

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लोग क्यों फसे है माया जाल मे,

बटोर रहे है पत्थर इस काल मे,


ढोंगियों के आहे पीछे भागकर गवा दिया है सब,

एक वही जनता था अब तक और जनता रहेगा सब,


दौलत पाने के लिए जो भी यज्ञ तुमने किये थे,

बुझ गए सारे जो लालच के दिए थे,


क से ही होता है कृष्ण और क से ही कंस,

फिर भी देखो दोनों मे क्या अंतर है,


र से ही होता है राम और र से ही रावण,

फिर भी देखो दोनों मे क्या अंतर है,


राशियों के खेल मे बांधकर रह गए सभी मुर्ख,

क्या पा लिया है उन्होंने सुख के बदले और दुःख,


जानते है आप सभी अच्छाई है किसके होने मे,

बुराई है किसके दिल के कोने मे,


मैं तो देना चाहती थी एक सन्देश ,

रहो वही या बदलो वेश !


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