लड़की
लड़की
खानदान की इज़्ज़त लड़की,
खानदान की रौनक लड़की,
खानदान ही हिम्मत लड़की,
खानदान की शौहरत लड़की।
फिर लड़की पैदा होने पर
मातम सा क्यों छा जाता है,
मुखड़ा क्यों मुरझा जाता है,
बदल गयी उसकी परिभाषा,
लड़की से है सबको आशा,
अब वह सब कुछ कर सकती है,
अब वह सब कुछ बन सकती है,
अब वह किसी पर बोझ नहीं है,
वह भी हाथ बँटा सकती है,
उसको दीन हीन न समझो,
उसी से तो सारी सृष्टि है,
जब सृष्टि है उससे तो
उसका तुम सम्मान करो।
यूँ प्रतिदिन उसका न
इस तरह अपमान करो,
नारी तो अबला न समझो ,
एक दिन सबला कहना होगा,
कहा गलत अगर तुमने उसको,
कदमों में उसके तुम्हें झुकना होगा,
नारी को असहाय न समझो,
ऐ ज़ालिम पहले खुद को तो समझो।
एक बार समझ के उसको
जीवन का मतलब तो समझो।।
