रामनवमी
रामनवमी
कहलाते है, मर्यादा पुरुषोत्तम
सब देवताओं में वो है, सर्वोत्तम
पिता की आज्ञा पालन के लिये,
वो तो गये थे, चौदह वर्ष वनम
आज चैत्र शुक्ल नवमी को ही,
उन प्रभु श्री राम का हुआ, जन्म
उन्हें, प्रभु श्री राम कहते है, हम
राम नाम तो है, बहुत ही शुभम
आज के दिन हुआ, अवतरण
कहलाता रामनवमी, यह दिन
बहुत हर्षोल्लास से मनाते है,
राम लल्ला का जन्मदिन, हम
श्री राम ने ही मारा था, दशानन
जिसे था, शक्ति का बड़ा, अहम
पत्थर भी तैरते, पानी के ऊपर
राम नाम मे है, ऐसा जादुई करम
राम नाम लिखकर बांध दिया, सेतु
जो लगता था, काम बड़ा, असंभवम
कहलाते है, मर्यादा पुरुषोत्तम
सब देवताओं मे वो है, सर्वोत्तम
पहले तो रावण भी था, प्रभु एकम
जिसके पास कुछ तो था, सत्कर्म
जिसकी अशोक वाटिका में रह,
माता सीता रह गई थी, पवित्रम
आज तो रावण भी हुए, सहस्रम
जिन्हें तनिक न आती लाज-शर्म
रावण भी ऊपर बैठा सोचता होगा
ओर अपनी आंखें करता होगा, नम
तुमसे अच्छा मे था, आज के रावणों
जो था शिवजी का, एक भक्त परम्
प्रभु आज के रावणों को करो खत्म
पुकार कर रहे, मिलकर सब ही जन
दे दो प्रभु श्री राम जी अपनी भक्ति
जो देती है, अति से ज़्यादा सुखम
जिसके प्रभाव से कलि का घुटे दम
आओ करे प्रभु श्री राम भक्ति हम
कलियुग के एकमात्र सिद्ध देवम
हनुमानजी मिटा देंगे, हर दुःखम
जहां-जहां होता श्री राम कीर्तनम
वहां-वहां आते है, श्री रामभक्त परम्
सच्चे दिल से करे, राम नाम सुमिरण
उसका होता सदा मंगलम ही मंगलम।