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Mukesh Kr Mishra

Abstract

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Mukesh Kr Mishra

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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

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संपन्न हुई है ये कठिन प्रतीक्षा, पाँच सौ वर्षों के बाद।

त्रेता युग सी लग रही अयोध्या, वो घड़ी आई है आज।।


असंख्य आंखें बंद हुई, जिस घड़ी की आश में।

कठिन तप का बल था शामिल, जिनके प्रयास में।।


सौभाग्यशाली कितनी ये पीढ़ी, वर्णन नहीं कर सकते हैं।

पूर्व जन्मों का प्रताप का फल, नभ से पुष्प बरसते हैं।।


राम मन्दिर का स्वप्न ये, हो रहा पूर्ण साकार है।

माया जिनकी रही है इस जग में, लीला अपरम्पार है।।


राम की नगरी हुई समर्पित, राम के दरबार में।

सज रही है पावन धरती, पुण्य के इस कार्य में।।


धन्य है ये अपनी पीढ़ी, धन्य बना ये अब जीवन।

साक्षी होंगे हम सभी, आनंद चित हैं हम सबका मन।।


राम राज्य की परिकल्पना, हर युग में प्रभावी है।

मर्यादा पुरुषोत्तम ने तो, घर घर में खुशियां लायी है।।


राम नाम की ये हैं महिमा, जातपात सब भूलें हैं।

सनातन ही है धर्म हम सबका, एक साथ सब मिले हैं।।


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