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Lokesh Devpura

Inspirational Others

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Lokesh Devpura

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राखी

राखी

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आँखों में धुँधलाती तस्वीर अपना वजूद खो रही है,

आज फिर एक कोने में बैठकर मेरी राखी रो रही है...

बरसों पहले की यादें है जो दिल से टकराती है-

वो चिप्पस का खेल.. वो माचिस की रेल..

वो ताश का किला.. वो रेत का टीला..

हर खेल में हार सिर्फ भाई के हिस्से ही आती है..

आज वो जीत ही मेरे दिल में काँटें चुभो रही है,

आज फिर एक कोने में बैठकर मेरी राखी रो रही है...


भाई का स्कूल में साथ भी सबसे यादगार था-

होमवर्क ना करने का बहाना..

और भाई के टिफिन से मिठाई खाना..

दोस्तों पर भाई का रौब जताना..

या फिर अप

ना बस्ता उठवाना...

मेरा हर नाज़ उठाने के लिए मेरा भाई तैयार था..

दूर क्षितिज़ में पसरे उस हर ख़्वाब को

ये आँखें संजों रही है,

आज फिर एक कोने में बैठकर मेरी राखी रो रही है...


मातृभूमि की सेवा ही उसका सबसे बड़ा ख़्वाब था-

वो रणभूमि की रात.. वो देश प्रेम का ज़ज्बात..

वो शहादत की सौगात.. और वो रणबाँकुरों की बारात..

तिरंगे में लिपटा हर जवान एक आफताब था..

पथराई आँखें दरवाज़े पर जाने किसकी बाट जो रही है?

आज फिर एक कोने में बैठकर मेरी राखी रो रही है...

आज फिर एक कोने में बैठकर मेरी राखी रो रही है...


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