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Lokesh Devpura

Inspirational

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Lokesh Devpura

Inspirational

एक नयी सोच

एक नयी सोच

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इस आज़ादी पर, उस दूर विराट अम्बर के पार;

मैं खोजता एक नया आयाम.....

एक आयाम जो मुझे दे एक नयी सोच, एक नया विश्वास

ताकि सोच सकूँ मैं वैभव, ऐश्वर्य, विलासिता से परे जाकर...

सोच सकूँ मैं पैसा, शोहरत, नाम को दरकिनार रख....

सोचूँ उस सोच के बारे में, कि आखिर क्यूँ होती है मजबूर अब दामिनी...?

क्यूँ बिलखता है समाज? क्यूँ है नम हर आँख? क्यूँ है दर्द हर दिल में...?

ईश्वर से माँगता हूँ इतनी ताकत और ऐसी समझ-

"जो हमें पुरुष-प्रधान सोच से ऊपर उठा सके,

जो हमें हर नारी का सम्मान करना सीखा सके..."

हे ईश्वर !! आज हमें अपनी सोच पर पूरा विश्वास दे-

मातृ-शक्ति के सशक्त स्वाभिमान का सम्पूर्ण अहसास दे ...

दे इतना हौंसला कि कंटकों से त्रस्त किसी दामिनी की फिर चीत्कार ना हो ...

अगर हो कभी ऐसा; तो फिर समाज में जीने का, हमें अधिकार ना हो !


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