"राजस्थान स्थापना दिवस"
"राजस्थान स्थापना दिवस"
आज 30 मार्च राजस्थान दिवस है
हृदय में मेरे तो आज अपार हर्ष है
यहां की संस्कृति बहुत ही उत्कर्ष है
भक्ति, प्रेम, त्याग सबमे ही अव्वल है
मीराबाई का हुआ था यही जन्म है
भक्तिपथ पर विष पिया हंस हंस है
दादू, रविदास, पीपा आदि हुए संत है
पन्नाधाय का याद, हमको संघर्ष है
उदयसिंह को, बनवीर से बचाने हेतु
पुत्र चंदन का त्याग किया सहर्ष है
आज राजस्थान स्थापना दिवस है
त्याग, बलिदान बहता रगों में रक्त है
पृथ्वीराज की वो अकल्पनीय तीर
अंधे होकर, गौरी को किया शून्य नीर
हवा बोले यहां आती वीरों की गंध है
राणा सांगा के असहनीय अस्सी घाव,
फिर भी रहते थे, वो तो युद्ध को तैयार
सांगा की वीरता का यहां, उच्च दर्श है
कुंभा की कला का अद्भुत उत्कर्ष है
विजय स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ, कुम्भलगढ़
चितौड़गढ़, गागरोन, मेहरानगढ़ आदि
विरासत का दिखाता ऊंचा गर्व है
महाराणा प्रताप का तीक्ष्ण भाला
अकबर भी जिसके आगे था हारा
स्वाभिमान याद दिलाता सँघर्ष है
चेतक अश्व, रामप्रसाद जैसे हस्त,
स्वामिभक्ति याद दिलाता फर्ज है
भील-आदिवासी के छापामार युद्ध
तीर-कमान से जिताये थे कई युद्ध
आदिवासियों का याद, वीर दर्श है
भामाशाह दान, बढ़ाया मेवाड़ मान
बताया उन्होंने दान उच्च आदर्श है
राणा हम्मीर, जिनके हठ पर फर्क है
मां पद्मिनी जिन्होंने सतीत्व बचाने
जिन्होंने किया अग्नि जौहर सहर्ष है
जौहर याद कर आता आंसू बरबस है
क्षत्राणियों ने बख़ूबी निभाया फर्ज है
आज राजस्थान स्थापना दिवस है
गोरा, बादल, जयमल, पता, कल्ला
जैसे अद्भुत वीरों का हुआ उद्भव है
हकीम खां सूरी की वो वीर तलवार
शहीद हो गये, पर न छूटी तलवार
हकीम की बहादुरी का याद वर्ष है
ढोलामारू रा दुहा, मूमल प्रेम कथा
पृथ्वी-संयोगिता की वो प्रेम कथा
याद दिलाता, हमें प्रेम का आदर्श है
लोकनृत्य, साहित्य अद्भुत संगम है
आज राजस्थान स्थापना दिवस है
रेत धोरों संग यहां नदी कल कल है
चंबल, बनास, लूनी बहती वर्ष भर है
दाल-बाटी-चूरमा खानपान निराला
मूंछों, पगड़ी में झलकता रौब सहज है
गौरवान्वित हूं, मेरा हुआ यहां जन्म है
बालाजी से यही आखरी इच्छा बस है
मेरा हर जन्म यही हो, यही मेरा स्वर्ग है
मेवाड़ भू छूने से आता जोश सहर्ष है।