राजनीति है साहब
राजनीति है साहब
राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है
यहाँ सड़कों पे सोते बच्चों को
लावारिसों का दर्जा मिलता है
यहाँ अमीरों की गाड़ियों को
कहाँ गरीबों के गुजरने
का पता चलता है।
यहाँ सालों से बहता नाला चुनाव से
एक रात पहले ही भरता है
ये राजनीती है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
गरीबों के खेतों का अनाज जब
आंधियों में सड़ता है
नेता जी को कहाँ तब
कोई फर्क पड़ता है।
शंखनाद होता है जहां
चुनावी बिगुल का
वही नेता उन खेतों में
उनके साथ रोता मिलता है
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
जब लुटती है इज़्ज़त
किसी गरीब की बेटी की
गलती उसके पहनावे की थी
ये कहकर मामला निपटता है।
क़ानून के अन्धे होने का अंधाधुंद फायदा
सिर्फ नवाबजा़दो को ही क्यों मिलता है
पर छोड़िये ये राजनीति है
साहब यहाँ सब कुछ चलता है।
जब बाप किसी अभागन का
शर्म की फ़ांसी चढ़ता है
तब कहाँ किसी की आँख से
मगरमछ का भी आँसू निकलता है।
जो हो जाये जेल किसी
बड़े बाप की औलाद को
नेता जी का सुख चैन
रह रहके आहे भरता है।
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
यहाँ शहीदों के नाम पे
वोट मांगे जाते हैं
कुछ आँसू निकलते हैं
कुछ जबरन निकाले जाते हैं।
तुम नहीं समझ
पाओगे इस खेल में
हर खिलाड़ी हर
किसी को खलता है
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
जनता देवी बन जाती है
कुछ पलों के लिए
वोटरो में नेताओ
ं को
विधाता का स्वरुप दिखता है।
जो आ जाये सत्ता हाथों में इनकी
ईमानदारी का पुजारी भी
बार-बार बिकता है
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
बरसों के शिकवों को
पलों में भुलाया जाता है
जेल भिजवायंगे कहते थे जिन्हें,
कुर्सी के लिए उन्हीं को
गले से लगया जाता है।
जब भारी होता है
पक्ष विपक्ष का चक्कर
किनारे वालो का गठबंधन
भी बनाया जाता है
पर खैर छोड़िऐ
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
सेवक तो वो हैं सरहदों पे
शहादत जो पाते हैं
ये नेता तो बर्बाद करते हैं
५ साल और फिर
सत्ता में आ जाते हैं।
मुआवज़े भीख जैसे कहां
उन बच्चों के पिता को
वापस ला पाते हैं।
जो बचपन की दहलीज़ पे
कदम रखने से पहले बड़े हो जाते हैं
पर कहा किसी को उस मासूम के
सिसकते आँसुओं का पता चलता है
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
मस्जिदों में भीड़ लगती है
मन्दिरों का ताला खुलता है
जिन्हें देखते भी नहीं थे
उन गरीबो के चरणों को।
नेता जी के हाथों से धुलने
का सौभाग्य मिलता है
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।
धर्म के नाम पर लोगों
को लड़ाया जाता है
अहिंसा का पाठ हिंसक
होकर पढा़या जाता है
जहाँ कुछ न चले तो
जाति का खेल काम आता है।
जनता बन जाती है
हर नेता बनाता है
पर छोड़िऐ।
ये राजनीति है साहब
यहाँ सब कुछ चलता है।