राजा (भगवान)
राजा (भगवान)
बहुत कोशिश करते हैं
जीवन को अच्छा बनाने की
हर चाल सोच समझ कर चलते हैं
लेकिन होता वह है
जो राजा (भगवान)चाहता हैं
उसकी चाल समझ आती नहीं
कहते हैं वह बुरा किसी का करता नहीं
शतरंज की गोटियों की तरह खड़े हैं
कभी लड़े हैं
कभी बिखरे हैं
अब राजा ही जाने क्या चाल चलाएगा
जिताएगा या हराएगा