Aakriti Jain
Romance
किसी दिन बेवजह
दिल में सनसनी सी हुई,
टटोल कर देखा
तो यह तेरा ही अक्स था।
लबों पर मुस्कान
लिए आखों में नमी,
समेट लीं मैंने
बिछड़ी पुरानी यादें सभी।
आंख मिचोली खेल चला
राह बेज़ार सी,
फिर वही कांटों का सफ़र
फिर वही फूलों की गली।
राह बेज़ार
गैर भी जहां अ...
बेमक़सद, बेवज़ह, इसे बर्बाद क्यूँ करना। बेमक़सद, बेवज़ह, इसे बर्बाद क्यूँ करना।
इस जहां को छोड़ जन्नत घूम आए थे हम दोनों इस जहां को छोड़ जन्नत घूम आए थे हम दोनों
बरसात में मोर संग खूब नाच रहे थे हम दोनों बरसात में मोर संग खूब नाच रहे थे हम दोनों
सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या जितना था वो काफी ना था। सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या जितना था वो काफी ना था।
तुम मेरी सांसों में हो, तपती धूप के प्यास हो जहां मैं तुम्हे देखता हूं, वहां नजर आती। तुम मेरी सांसों में हो, तपती धूप के प्यास हो जहां मैं तुम्हे देखता हूं, वहां ...
ए ख्वाबों की तितलियों हकीकत के फूलों से मिलो न जरा सा ए ख्वाबों की तितलियों हकीकत के फूलों से मिलो न जरा सा
नमन उस नयन को जिसने मुझे देखा था परखा जिस नयन ने उसको मेरा नमन है। नमन उस नयन को जिसने मुझे देखा था परखा जिस नयन ने उसको मेरा नमन है।
खुदा का शुक्र है कि तुमसे मिला था मैं, मुझसे मिलने की तुम भी तो खैरियत मना लो, खुदा का शुक्र है कि तुमसे मिला था मैं, मुझसे मिलने की तुम भी तो खैरियत मना लो...
पर्दा तुम्हारे रुख से यूँ हटाना पड़ा मुझे, अपने दिल का किस्सा सुनाना पड़ा मुझे। पर्दा तुम्हारे रुख से यूँ हटाना पड़ा मुझे, अपने दिल का किस्सा सुनाना पड़ा मु...
कुछ पता न चला तुमको, क्योंकि न हिम्मत आई उतनी मुझको। कुछ पता न चला तुमको, क्योंकि न हिम्मत आई उतनी मुझको।
अपनी सुध भी तो ना रही हमें भूल गए वो बात जो कहनी थी उनसे, अपनी सुध भी तो ना रही हमें भूल गए वो बात जो कहनी थी उनसे,
कहते हैं एक हो जाने से, खत्म हो जाता है फासला। कहते हैं एक हो जाने से, खत्म हो जाता है फासला।
ना मिटा सकोगे मेरी यादों को दिल से… तेरे दिल के किसी कोने में आज भी हूं मैं … ना मिटा सकोगे मेरी यादों को दिल से… तेरे दिल के किसी कोने में आज भी हूं मैं …
अब नैनो से बहते आंसू। जो बहुत दूर गए हो तुम।। अब नैनो से बहते आंसू। जो बहुत दूर गए हो तुम।।
तड़पते एहसासों को निगल रहा हैं काल तड़पते एहसासों को निगल रहा हैं काल
सब कुछ तो लूट लिया अब मुझे मिटा कर क्या पाओगे, सब कुछ तो लूट लिया अब मुझे मिटा कर क्या पाओगे,
तुम बिन ये घर फिर मकान हो गया सूना-सूना सा मेरा ये ज़हान हो गया। तुम बिन ये घर फिर मकान हो गया सूना-सूना सा मेरा ये ज़हान हो गया।
मुद्दतें हो गई तुझसे रूबरू हो न सके मुद्दतें हो गई तुझसे रूबरू हो न सके
आखिर किससे इश्क़ हुआ है सूरज को, उसको घर से रोज निकलना पड़ता है। आखिर किससे इश्क़ हुआ है सूरज को, उसको घर से रोज निकलना पड़ता है।
काश मेरे ख़त का जवाब मुझे तुरंत मिल जाता। काश मेरे ख़त का जवाब मुझे तुरंत मिल जाता।