प्यारे बच्चों
प्यारे बच्चों
तुम स्वर्ण के जैसे खरे बनो,
तुम वृक्षों जैसे बड़े बनो।
तुम अचल, धीर पर्वत जैसे,
तुम सागर से गम्भीर बनो।।
बनो सत्य, न्याय के अनुयायी,
बनो महादेव से विषपायी।
मानवता का कल्याण करो,
अर्जुन सा सर सन्धान करो।।
निर्बल जन की तुम शक्ति बनो,
आरुणि जैसी गुरु भक्ति करो।
बनो बुद्ध के जैसे शान्त हृदय,
मानवता का कल्याण करो।।
कभी समय व्यर्थ करना नहीं।
अन्याय से तुम डरना नहीं।
श्रम से ही सफलता मिलती है,
ये सत्य सर्वदा बात सही।।