प्यारा कैलेंडर
प्यारा कैलेंडर
मेरा प्यारा मस्त कैलेंडर
रहता जो मेरे कमरे के अंदर
रोज मुझे तारीख बतलाता
अपने कर्म का ज्ञान करवाता
एक जगह टंगा वह रहता
कभी भी मुंह से उफ ना करता
वार त्योहार हो या हो जन्मदिन
या स्वतंत्रता दिवस का
हो वह खास दिन
सुख दुख में वह साथ रहता
खुशी गम की पीड़ा वह साथ सहता
नहीं किसी से वह कम
उसमें खुशियां बांटने का है दम
साल खत्म होते
वह रुखसत हो जाता
नई साज-सज्जा के साथ
फिर से हमें मिल जाता
क्रम अपना यह बार -बार दोहराता
लोगों को कीमती दिनों का ज्ञान बताता
तभी तो वह कैलेंडर कहलाता
जो सुख दुख में जीना सिखाता।