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भारती भानु

Tragedy

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भारती भानु

Tragedy

प्यार नहीं था

प्यार नहीं था

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एक मोड़ पर आकर पता चला वो इकरार नहीं था

जिसे मैं प्यार समझ बैठी वो प्यार नहीं था

कि उसकी पत्नी दूर थी उससे,

उसे बस जरूरत थी


प्यार का चोगा पहनाकर जो किया उसने

उसकी नजरों में वो बलात्कार नहीं था

मासूम चेहरे के पीछे वाला मासूम नहीं था

लेकिन तब मुझे ये मालूम नहीं था


पूछती हूँ मैं उन सभी से, जो देख दूसरे की बेटियों को

टपकाते है लार

जब देखी उन्होंने अपनी बेटी तब क्यों उनके मुँह में लार नहीं था

जिसे मैं प्यार समझ बैठी, प्यार नहीं था


उससे उम्र में आधी हूँ, समझ न आया

बालमन को उसने मीठे बोल से बहलाया

प्यार में मायने कुछ नहीं रखता ये समझाया

खेलकर तन-मन से उसने अपना प्यार निभाया


आज भी वो यही कहेगा कि झूठ नहीं उसे प्यार हुआ था सच्चा 

बेटी की उम्र की लड़की को लूट कर भी वो शर्मसार नहीं था

जिसे मैं प्यार समझ बैठी, वो प्यार नहीं था।


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