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Ayushee prahvi

Abstract Others

4.0  

Ayushee prahvi

Abstract Others

प्यार कभी खत्म नहीं होता

प्यार कभी खत्म नहीं होता

1 min
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बहुत बार उधेड़ कर

सब फंदे, सभी बेल बूटे

इंसानी प्यार के

प्यार भरी सब यादों को

पलट कर

जलती धूप में निचोड़ा, सुखाया

और तसल्ली कर ली


पर फ़िर,

बारिश की बूंदों के साथ

उतर आया ,हूबहू

कुछ यूं जैसे कभी गया ही न था।

सट कर खड़ा हो गया जैसे

दुम हिलाता नन्हा सा पपी

दुपट्टे के छोर से खेलती

कोई छोटी सी बिटिया।


कभी दफ़न कर दिया उसे,

मन के तहखानों की,

गहरी शीत भरी परतों में।

पर,

पसीजती बूंदों की तरह

उभर आया फिर

ज्यों का त्यों।


प्यार शायद पानी की तरह है

जलता, उबलता और जम जाता है

पर कभी खत्म नहीं होता,

और शायद इसीलिए

दुनिया जिसे प्यार करती है

उसे ईश्वर कहती है।


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