An Ambivert Book nerd
मन मोरा पानी का पंछी जब - जब उड़े डूब पड़ता है । मन मोरा पानी का पंछी जब - जब उड़े डूब पड़ता है ।
कभी दफ़न कर दिया उसे, मन के तहखानों की, गहरी शीत भरी परतों में। कभी दफ़न कर दिया उसे, मन के तहखानों की, गहरी शीत भरी परतों में।
दम जरा धारा के विपरीत दम जरा ज्यादा भरना! दम जरा धारा के विपरीत दम जरा ज्यादा भरना!
जाहिर है हर कोई अपनी रोटी कमाता है ! जाहिर है हर कोई अपनी रोटी कमाता है !
ये समझ आया है माँ, मैंने हमेशा केवल तुमसे पाया है। ये समझ आया है माँ, मैंने हमेशा केवल तुमसे पाया है।
ढोए हैं मैंने बेदवा वो ज़ख़्म कई सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नयी - नयी सी है। ढोए हैं मैंने बेदवा वो ज़ख़्म कई सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नयी - नयी सी है।
ढोए हैं मैंने बे दवा वो ज़ख्म सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नई- नई सी है। ढोए हैं मैंने बे दवा वो ज़ख्म सालों तक जिनकी जलन तुम्हें नई- नई सी है।