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Ayushee prahvi

Abstract

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Ayushee prahvi

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मैंने केवल तुमसे पाया है

मैंने केवल तुमसे पाया है

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सुबह की चाय से लेकर ,रात के खाने तक

माँ मैंने हमेशा केवल तुमसे चाहा है।


अपनी गलतियों पर तुम्हारी हर डांट के बाद

रो- रोकर पापा से तुम्हारी शिकायतें भी लगाई हैं।


पर फिर भी, सुकून तभी आया है,

जब तुमने दुलार कर गले लगाया है।


कभी जब तुम एक दिन के लिए भी घर से बाहर गईं

आंगन में फैली हुई तुम्हारी साड़ी से लिपट कर ,

तुम्हारी ही खुशबू ढूंढी है।


तुम्हारे पास होने से ही मुझमें थोड़ी बेफिक्री है ,

और थोड़ा बचपना है।


ऐसा क्यों होता है माँ जब भी घर की बात होती है

सबसे पहले तुम्हीं याद आती हो।


अब जब तुमने मुझे इतना बड़ा कर दिया है कि

अपनी जरूरतों के आगे भी देख सकूं,

ये समझ आया है


माँ, मैंने हमेशा केवल तुमसे पाया है।


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