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Kuhu jyoti Jain

Romance

5.0  

Kuhu jyoti Jain

Romance

प्यार का अहसास - बेरुख़ी

प्यार का अहसास - बेरुख़ी

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समझ नहीं पा रही हूँ उनकी बेरुखी का सबब

या तो नाराज़ है मुझसे या किसी और को महबूब कर लिया है


नाराज़गी जता कर क्यूँ न मुझसे आ मिले वो

दिल मे रहते हुए भी दूरी, ये खूब कर लिया है


जो है खफ़ा तो रहे, कोई ग़म नही,

मंज़ूर हर खता है, मंसूब कर लिया है


कैसे 'कुहू' अलग हो सकेगी उनसे

अब उनकी रूह को आत्मा बना लिया है।



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