प्यार : इक एहसास
प्यार : इक एहसास
पहला दिन था काॅलेज का
आज भी अच्छे से याद है;
'सुनो, कहाँ जा रहे हो आप '
गूंजती है कानों में , तेरी आवाज है!
डर गया था थोड़ा सा
पलटके देखा हलका सा
लड़की थी एक वह
जिनसे कभी पाला न पड़ा था !
कभी शांत शी लगती थी
कभी उदास सी
रहती थी खामोश कभी कभी
जैसे चाँद से रूठे चाँदनी सी !
सपनों की दुनिया में जीती थी
हकीकत मे कुछ और
गपशप तुझसे करके
शुरू हुआ, बातो का इक दौर!
चाहने लगा था तुझे शायद
जानना चाहता था करीब से
रोका दिल को बहोत,
दूर तुझसे तेरा होने से!
न रोक पाया खूद को
न समझा पाया दिल को
रूकावटें थी बहुत
कर दिया यह दिल हवाले तुझको!