पूनम की प्रीति
पूनम की प्रीति
चाँदनी भरा यह पूनम की रात,
नींद बिना जो है मधु भरा रात,
प्रिया के विरह भरा चपल रात,
प्रणय गीत गाता रहूँ सारी रात।
मीठा डंक मारे यह पूर्णिमा रात,
नभ नक्षत्र देखकर बिताऊँ रात,
चन्द्रकान्ति ने किया अस्तव्यस्त,
अति सुखप्रद है प्रेयसी की प्रीत।
प्रेमिका की चिंता में बीतें दिन-रात,
अँधेरे में बाती सा है जिसकी चाहत,
चारु चंद्रावती मुझे दे सके है राहत,
ललित लावण्यवती का हूँ मैं मनमीत।
शीतल बेला हृदय में लाए उत्पात,
हृत्स्पंदन ने दिया प्रेम का आघात,
प्रवाह करे प्रिया हेतु प्रतीक्षा-प्रपात,
प्रीति भूलने नहीं देती पूर्णमासी रात।