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Govardhan Bisen

Abstract Tragedy Others

4.0  

Govardhan Bisen

Abstract Tragedy Others

कारो मातीका पोवार

कारो मातीका पोवार

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कारो मातीका पोवार, राबसेत राजा रानी |

पुरो देशको पोशिंदा, पर दुःखी जींदगानी ||धृ||


आयी होती मालवालं, संग संस्कृती धारकी |

सोड़शानी तलवार, सजी खेती पोवारकी ||

बैनगंगा सहारालं, सुरू भयी जींदगानी ||१|| पुरो...


पयलोच बारीशकी, ओढ सबला रव्हसे |

बाट चातक सरीखी, कास्तकार बी देखसे ||

सोच-सोच थक जासे, कसी होयेतं किसानी ||२|| पुरो...


रोहिणीको बेरापर, वऱ्या दिससेती ढग |

खेतीकाम करनकी, सुरु होसे लगबग ||

खेतं किसान राजाला, हात बटावसे रानी ||३|| पुरो...


देख ढग बादरमा, खुश होसे कास्तकार |

सुरु कर खरपळा, देसे बांधीला आकार ||

गाड़ोलाई धुरा फोड़ं, बनावन गाड़दानी ||४|| पुरो...


मंग खेतमा फेकसे, गाड़ोलका शेणखात |

करं बांधीमा चिराटा, वला बईल को साथ ||

तोर लगावसे रानी, धुरा पारी करशानी ||५|| पुरो...


खारी भर मोहतूर, करं मिरुगको दिन |

कास्तकार मेहनत, करं देवको स्वाधिन ||

बड़ी आस फसलकी, घर नही दानापानी ||६|| पुरो...


मिरुगको पाणीलका, दाना अंकुरे मातीमा |

खुश होसे कास्तकार, देख फसल बांधीमा ||

हर साल पिकावसे, चाहे होय जाये हानी ||७|| पुरो...


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