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Shwetank Singh

Tragedy

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Shwetank Singh

Tragedy

पुरबिया

पुरबिया

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दुनिया उसे 'मेहनती' कहती है

ये शब्द प्रशंसा का है

छल का भाई बंधु है

या कोई अपशब्द है

इस पर बहस हो सकती है


पर हम पुरबिया लोग

इस शब्द को सुनकर

खिलखिला उठते हैं

मालिक के प्रति समर्पण के

पीढ़ी प्रदत्त वफादारी-भाव से।


हम पुरबिया जैसे हीं

थोड़ा परिपक्व होते हैं

कोई 17 से 18 साल के,

हमारा एक बड़ा हिस्सा

उगते सूर्य की जमीन से

डूबते सूरज की ओर 

जाने के लिए विवश होता है


और इस प्रक्रिया में

सरकारों, राज नेताओं और

अन्य जिम्मेदार लोगों से

बिना कोई सवाल पूछे

अपनी दुर्दशा पे 

बिना किसी की जवाबदेही खोजे

पारंपरिक रुप से


अपनी फूटी किस्मत को

कोसते और गरियाते हुए

हम पश्चिम जाने वाली

किसी ट्रेन के सामान्य डिब्बे में

ठूँस दिए जाते हैं

गेट से प्रवेश न मिल पाने की स्थिति में

आपातकालीन खिड़की से भी


हमारे साथ छेद- छेद हुआ एक बैग

उसमें तीन सांझ की लिट्टी

एक जरकिंग आर्सेनिक युक्त पानी

सतमेंझरा सातू

दो सेट कपड़े

कुछ हरे नीम के दातुन

एक गमछी


और उस गमछी में बंधे

भोजपुरिया सपने होते हैं

इन सपनों को पूरा करने के लिए

बैग के ऊपर वाली चेन में

ठेकेदार का मोबाइल नंबर

सबसे जरूरी आइटम है

सुख लोक का 'एंट्री पास'।


एक जरुरी सवाल

कभी पूरब के माननीय नेताओं

और पूरब की देवतुल्य जनता ने

पूरे मन से शायद हीं पूछा हो

कि ऐसी किसी ट्रेन से


ऐसे कुछ 'पश्चिमिया' जवान

क्यों कभी पूरब नहीं आते?

ये जमीन भी तो इसी देश का 

एक पवित्र हिस्सा है

या कोई अभिशप्त क्षेत्र है


मेहनती के साथ साथ

हम बड़े हिम्मती भी होते हैं

हमारे सारे सुख-चैन, ऐशोआराम

सौंदर्य और यौवन

फैक्टरियों की भट्टी में

तप कर झूल जाते हैं

हमें पता हीं नहीं चलता


कि सामाजिक न्याय की

खोखली नीति

और एक समान क्षेत्रीय

धन आवंटन की

मृगतृष्णा ने

हमें कब भरी जवानी में

वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में


खड़ा कर दिया है

हम पुरबिया

बस खटना जानते हैं

और पीढ़ी दर पीढ़ी 

खटते खटते शहीद हो जाना


मैं पूछता हूँ

1857 की क्रांति का बिगुल

फूँकने वाला पुरबिया

सबसे पहले देश को

आजादी देने वाला पुरबिया


प्रधानमंत्रियों की एक लंबी

सूची देने वाला पुरबिया

पूरे देश को उच्चाधिकारियों की

कामयाब जमात देने वाला पुरबिया

गौरवशाली इतिहास देने वाला पुरबिया


गणित और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण

मौलिक आयाम देने वाला पुरबिया

सीमाओं की सुरक्षा में बढ़ चढ़कर

अपने प्राणों का बलिदान देने वाला पुरबिया

आज इतना परेशान क्यों है ?


सीधा सादा, भोला भाला

मीठी भोजपुरी 

बोलने वाला पुरबिया

इस देश की सौतेली संतान क्यों है ?


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