पुलवामा के वीर शहीदों को नमन
पुलवामा के वीर शहीदों को नमन
इंसानियत के दुश्मनों ने ने तो हद्द ही कर दी,
वीर जवानों की जिंदगियां अन्त कर दी।
कायरता मय बर्बरता का लिख दिया ऐसा इतिहास,
जिसे चाहे भी तो ना भूल पायेगा हिन्दुस्तान ।
भारत माँ के लालों का ये कर्ज,
ना चुका पायेंगे हम सब उम्र भर।
मुझे आज बहुत कुछ कहना है,
अब तो चुप ना रहना है,
है आज हुआ छलनी दामन,
बिलख रहा ममता का मन।
जो कभी बेटे, भाई, पति के आस हुए,
वे 40 परिवार अनाथ हुए।
जहाँ सरताज होना सेहरा था
उन घरों में आज मातम का पहरा है।
वीरों की बेवाये और यतीम हुए बच्चे,
जैसे पूछते हो सवाल सच्चे।
क्या शूरवीरों का बलिदान व्यर्थ जायेगा,
या हमारी समझ में भी कुछ आयेगा।
समय आ गया है उत्थान का,
आस्तीन के सांपों के पहचान का।
मारना है तो रसद काटो,
परजीवी,भच्छीयों की जड़ काटो।
व्यापारिक, सांस्कृतिक रिश्ता क्यों है
आयात-निर्यात सा सौदा क्यूं है ?
मिठाइयों का आदान-प्रदान क्यूँ है ?
और अविरल धारा का देना, दान क्यूं है ?
40 परिवारों का सोच कर व्यथित है मन मेरा,
अश्रूपात, विलाप से पिघल्ते
मेघ को देख द्रवित है मन मेरा।