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Dr. Pankaj Srivastava

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Dr. Pankaj Srivastava

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कोरोना वायरस महामारी, एक दुखद

कोरोना वायरस महामारी, एक दुखद

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प्रकृती के नियमों से गर करोगे छेड़खानी, 

तो हमेशा पड़ेगी मुह की खानी। 


मरघट से सन्नाटे की आहट, 

दूर देश से आती है, 

संभावित, संक्रमितों के कुरनटीन से, 

राहत की खबर मिल जाती है।


लक्षण भले समान ही हों पर 

कोरोना, वायरल पर भारी है ।


सर्दी, खांसी, बुखार से तो अपनी यारी है, 

पर सांस गर आने में ईठलाये तो समझो, 

अस्पताल जाने की तैयारी है।


खांसी, छींकों को बन्द कर लो रुमाल में, 

नही तो छिपा लो बांहों के पाश में। 


हम बिना ठोकर खाए संभलते नही है, 

 हैण्ड शेक और आलिंगन बिना मिलते नही हैं।


छोडो हैण्ड शेक और आलिंगन, 

करो नमस्कार, रहो मगन।


इन्फेक्शन को बढने से है रोकना, 

बार- बार साबुन से हाथ है धोना ।


स्वच्छ भारत अभियान का मूल मंत्र, 

बन गया जागरुकता मिशन का अभीन्न अंग।


इन्सान ही इन्सान का दुश्मन है, 

मजबूरियों के तवे पर मुनाफे की रोटी 

सेंकने वालों का शीशे का ही नशेमन है।


मास्क, सेनिटाइज़र का वसूलते मनमाना दाम हैं, 

इनको ना कोई धर्म है, ना कोई ईमान हैं।


डॉक्टर, नर्सो और स्वास्थ्य रक्षको की टोली, 

खेल रही है यहाँ रोज आग से होली।


 इन्होंने विपदाओं का किला फतह कर रखा है, 

कर्मभूमि के बुर्ज पर इंसानियत का परचम बुलंद कर रखा है ।


वर्क फ्रॉम होम इनके नसीब में नही आता है, 

परिजनो को खुद से कैसे बचायें 

यह खयाल इन्हे दिन रात खाता है ।


फिर भी डटे हैं हम सब मैदान में, 

जीत लेंगे दुनिया इसी गुमान में।



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