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Dr. Pankaj Srivastava

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Dr. Pankaj Srivastava

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होली की फुहार

होली की फुहार

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साल में एक बार आती है होली,

लम्बे इन्तजार पर आती है होली।


है बहुत कुछ खास इस पर्व में,

जन्मभूमि, माता-पिता के संदर्भ में।


कुछ दिन काम की आपा धापी से दूर,

परिवार की ठंडी छांव से भरपूर।


बच्चों का जड़ों से जुड़ना जरूरी है,

चाचा, मामा से मिलना भी जरूरी है।


उम्र, यस सर-नो सर में गुजर जायेगी,

नौकरी,बचपन भी निगल जायेगी।


कुछ वक्त ऐसा हमारे पास हो,

पूर्णता अपनों का ही साथ हो।


दाग अच्छे या बुरें, बस लगना चाहिये,

रंगों से रिश्ता सवरना चाहिये।


बेबसी है माँ-पापा के अकेलेपन से,

जिसको दूर नही कर सकते है मन से।


ये 4 दिन 365 पर भारी नही है,

शायद,हमारी कोशिश भी जारी नही है।


होली तो बस घर आने का एक बहाना है,

बस कुछ अनमोल पल बिता कर जाना है।




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