पति का बटुआ
पति का बटुआ
यह मेरे पति का बटुआ
मन को बड़ा लुभाता है,
घर का राशन खरीद कर
सभी सदस्यों का पेट भरता है,
तीज त्यौहार पर बच्चों को कपड़े
तो कभी कभार मुझको
भी जेवर दिलवाता है।
हर महीने अम्मा की दवाई
बच्चों की पढ़ाई लिखाई,
क्या नहीं ये करता है।
जब कभी हो जाये पैसों की दिक्कत
सह लेता है खुद ही,
घर में किसी को पता चलने नहीं देता है,
यह मेरे पति का बटुआ
मन को बड़ा लुभाता है।
जब भी मिले बोनस
कुछ एक्स्ट्रा नोटों से भर जाता है
तब भी करता नहीं गुमान
ऑफिस से घर आते वक्त
कुछ दुखियारो के झोली में भर जाता है।
ये मेरे पति का बटुआ
मन को बहुत लुभाता है।
नया घर और अम्मा का तीरथ
कुछ सपने पाले रखा है,
मोटिवेट करता है पतिदेव को हरदम
यह उम्मीद जगाये रखता है।
हर दिन, हर महीने
सालों साल सभी के खर्चे
खुशी खुशी उठता हुआ
यह बिल्कुल नहीं थकता
और ना ही ये होता उदास है,
मजबूती से थामे है घर को
बेटे का फर्ज़ निभाता है।
ये मेरे पति का बटुआ
मन को बड़ा लुभाता है।