पथिक
पथिक
पथिक निरंतर कर्म पथ पर चलता रहा,
बाधाओं को चीर वह आगे बढ़ता रहा।
रुका नही बीच मार्ग अवरोधों को देखकर,
हौसले से पार कर लेगा हर अवरोध को।
राह में अनेकों लोग मिले हमकदम बने,
मंजिल आई पहुँचकर वो निकल पड़े।
मैं पथिक निरंतर मिलता रहे सबसे प्यार से,
नही रुका नही झुका किसी भी रार से।
आँधियाँ और तूफान आते ही रहे यहाँ,
हिम्मत से आँधियों को पार किये जहाँ।
फूल शूल दोनो ही पथिक को राह पर,
शूल के चुभन की कसक रही यहाँ पर।
मैं पथिक बना सब कुछ को सहता रहा,
अनवरत कर्म पथ पर बढ़ता ही रहा।
जिंदगी की राह पर सभी पथिक बने यहाँ,
बिना रुके जो चले तरक्की करता वहाँ।
