STORYMIRROR

Anjali Sharma

Inspirational

4  

Anjali Sharma

Inspirational

प्रण

प्रण

1 min
522

बैठा उदास नदिया तीरे

चिंता अवसाद मन को घेरे 

कैसे आज मैं घर को जाऊं 

कैसे पिता से नज़र मिलाऊँ 


साइकिल लेकर भरी धूप में 

जाते हैं कितनी दूर 

बन जाऊं मैं कुछ जीवन में 

सपने देखें मजबूर 


माँ सुबह सवेरे उठ कर 

चूल्हा है सुलगाती 

स्कूल पढ़ेगा बड़ा आदमी 

बन जायेगा पूत 


कैसे देखूँ बाबूजी का 

आंसू फिर पी जाना 

माँ को लाल आँखों में 

फिर काजल से अश्रु छुपाना 


डूब जाऊं इस दरिया में जो 

फिर न रहेगी आस 

नहीं करेगा आशा कोई 

कि हो जाऊंगा पास 


तभी दिखा दल फूले कमलों 

की आभा से भरपूर 

कीचड़ में भी मुस्काते जो 

बोले न कर ये भूल 


राह बहुत हैं जीवन में 

काँटों के संग ही फूल 

इम्तिहान में डट कर लड़ना 

चाहे कंकड़ मिलें या शूल 


जीत तुम्हारी होगी जो तुम 

डटे रहो रणवीर  

चल दिया मैं फिर कर प्रण 

आऊँगा लेकर इक दिन विजय के फूल| 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational