प्रकृति के गुण
प्रकृति के गुण
शीतलता पाऊँ चाँद से
ज्ञान पाऊँ सूरज से
धीरता पाऊँ धरती से
गंभीरता सागर से
अहंकार ना करूँ
पहाड़ सा शांत
हिमालय बन जाऊँ
समर्पण सीख फूलों से
मुस्कुराहट पाऊँ
तितलियों से
प्रकृति से गुण लेकर
इंसान महान बन जाऊँ
रुके विनाश इसका
इसकी शपथ आज मैं पाऊँ
