परिवार
परिवार
रिश्तो में भर आई खटास क्यों,
अपनों का अपनों से मनमुटाव क्यों,
यह किसकी जिम्मेदारी है?
एक साथ मिल बैठना
हंस-हंस के बातें करना
केवल यादगारी है।
टूट गए वो रिश्ते नाते
बिखर गए वह बंधन सारे
अब तो
केवल साझेदारी है।
सगे संबंधी कबीले वाले
मिलकर उत्सव मनाते थे,
हो जाए अब आगमन समय पर
तो निभाई रिश्तेदारी है।
ना मां बाप ना भाई बहन
केवल मात्र संपत्ति की दावेदारी है।
