प्रेम
प्रेम


प्रेम भला संसार में, कहते आये लोग,
रंजिश करते लोग जब, कहलाता रोग,
नाग से डसते कभी, हो जीवन बर्बाद,
बीत गया जो युग,आती बड़ी ही याद।
बुरा बहुत जहां है, नहीं सुहाती बात,
भांजी मारे प्यार में, बुरी बने हालात,
सच्चे मन से प्रेम हो, आये सुंदर रंग,
मन ही मन में छिड़े,इक अजीब जंग।
प्रेम की डोर जहां, नाजुक कहलाए,
प्रेम में खलल पड़े, आंसू छलकाएं,
हीर रांझा सी जोड़ी, पल में हो दूर,
जग रूपी नाग डसे, चेहरे मिटे नूर।
कहानी सुनते आये, गहरा हो प्यार,
लाख पहरे पड़े, नहीं होती है हार,
जुदा नहीं होते, दिल से दिल मिले,
दुष्ट भी नष्ट हो, फूल से मन खिले।।