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Mamta pranav

Romance

4  

Mamta pranav

Romance

प्रेम

प्रेम

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60


हां, लिखना है मुझे भी प्रेम,

कहनी है तुमसे अपने दिल की बात,

पर समझना मेरे मौन को,

उस दर्द को,

जो मुझे एहसास दिलाता है,

तुम्हारी हो के भी तुम्हारी नहीं होने का,

रात- दिन तुमको सोचती हूँ,

तुम्हें छूना चाहती हूँ,

देखना चाहती हूँ,

हमेशा अपने आँखों के सामने।

मैं बनना चाहती हूँ।

तुम्हारे प्रेम मे नदी,

तोड़ना हूँ हर उस किनारे को,

जो मुझे बांधती है,

मै प्रेम पहनना , प्रेम ओढ़ना , प्रेम सोना, प्रेम जागना,

चाहती हूँ,

हाँ मैं तुम्हारे प्रेम मे

प्रेम होना चाहती हूँ।



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