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Acharya Shilak Ram

Comedy Others Inspirational

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Acharya Shilak Ram

Comedy Others Inspirational

प्रेम से प्रेम तक

प्रेम से प्रेम तक

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प्रेम हमारी शैली है, प्रेम ही जीवन-दान।
कुछ भी कर दें प्रेम-हित, छोड़ अहम अभिमान।। 1

एक प्रेम के कारण ही, जीवन स्वर्ग बना।
चलता जो यहां प्रेम-पथ, वही केवल अपना।। 2

झुके जो निज के सामने, बिना कुछ सोच-विचार।
प्रेम उसी को जानिए, वह यारों का यार।। 3

प्रेम में रहस्य जो रखे, कुछ छिपाए कुछ बताए।
कपटी, ढोंगी उसे कहें, धोखेबाज वह कहलाए।। 4

बहुत दूर का वास हो, मिले हो गए बहुकाल।
एक प्रेम के कारण ही, समीप होते वे हर हाल।। 5

ज्यों-ज्यों प्रेम में उतरे, अकड़ दूर होती जाय।
अहम-भावना रहे नहीं, प्रतिपल प्रेम ही सुहाय।। 6

उस लोक के वासी हैं, जहां प्रेम की नदियां बहती।
रहना, खाना प्रेमवश; न भावना बदले की रहती।। 7

रोम-रोम में मस्ती छाई, अंग-अंग फड़क रहा।
प्रेम ही इसका कारण है, अनुभूति से यह कहा।। 8

यहां प्रेम है - वहां प्रेम है, अद्भुत हो अनुभूति।
जैसे किसी योगी को मिले, योग की परम विभूति।। 9

प्रेमपरक संपत्ति सुनो, महंगे रत्नों की खान।
महासुख में डूबे वह, जिसने की पहचान।। 10

सुनो! वासना ‘प्रेम’ नहीं, स्वार्थ से यह दूर।
देना ही देना इसमें हो, हो समर्पण भरपूर।। 11

‘मैं’ के भंवर में फंसे रहे, यह तो प्रेम नहीं।
‘मैं’ से टूटे प्रेम मिले, यही तथ्य है सही।।12

और कुछ भी दे दें प्रभु, बस ईर्ष्या मत देना।
एक दिन यह सब छोड़ना, यह जग काल चबेना।।13

‘विश्वशांति’ बस प्रेम से, अन्य पथ बचा न कोई।
प्रेम में होना जान ले, समय व्यर्थ गुजार न रोई।।14

यदि कोई प्रेम को जान ले, जानो सब कुछ मिला।
शील, शांति, तृप्ति; धन्यवाद का फूल खिला।।15


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