प्रेम मेरा
प्रेम मेरा
ऐसा निश्चल प्रेम है मेरा
जो तुमसे मिलकर पूरा होता
नदिया समंदर और यह हवा
भी जिसकी उपमा देते
ऐसा निश्चल प्रेम है मेरा
त्याग आई जो दुनिया
दुनिया मैं तुम्हारी ख़ातिर
किया तुम ही को सर्वस्व
समर्पित
तुम से शुरू शुरू और
तुम पर ही खत्म
ऐसा निश्चय प्रेम है मेरा
तुम दीया और मैं तुम्हारी बाती
तुम तेल उसका, मैं तुम्हारी ज्योति
खुद को जला, जो अंधकार
दूर तुम्हारा करता
ऐसा निश्चल प्रेम है मेरा
तुम घर हो मैं उसकी नींव
तुम आस हो उसकी,
मैं आसरा तुम्हारा
तुम प्राण उसके, मैं स्वास तुम्हारा
तुम से निरंतर जीवन मेरा
ऐसा निश्चल प्रेम है मेरा