प्रेम कि यातना
प्रेम कि यातना
प्रेम समझते समइते
इतंराजर में हि दिन जाएंगे
रात को तनहाही पाएंगे
प्रेम कि यातना हि पांएगें ।
प्रेम सच्चा या झुठा मे खोएंगे
तो प्रेम कहा पाएंगे
जिंदगी तो तनहाही मे पाएंगें
प्रेम कि यातना हि पाएंगे ।
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श्री. काकळीज विलास यादवराव (नांदगाव )
