STORYMIRROR

J P Raghuwanshi

Inspirational

4  

J P Raghuwanshi

Inspirational

प्रातः दर्शन

प्रातः दर्शन

1 min
576

जागो राम दृग खोलिये,

अरुणिमा चँहु ओर।

मंद-मंद, पवन वह रही,

सुहावनो हैं, भोर।


कोयलिया कूक रही, 

सरजू दें हिलोर।

वंदी जन करै गायन,

रहे कर जोर।


जागो राम राघव,

जागो चितचोर।

सावलों, सलोनो देह,

हर्षित मन मोर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational