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Nitu Mathur

Inspirational

4  

Nitu Mathur

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पन्ना का दीपदान

पन्ना का दीपदान

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चित्तौड़ के इतिहास में अनमोल त्याग की सत्यकथा

पन्ना धाय मां जिसके सामने हल्की थी सबकी व्यथा,


कुंवर उदय सिंह की एक मां बन के की पूर्ण देखभाल

उसी के साथ सहज पाल रही थी अपना भी छोटा लाल,


मां का लाड दुलार मिल रहा था दोनों में अति समानांतर

महारानी की विश्वासपात्र थी पन्ना.. नहीं रखा कोई अंतर,


परिवार के ईर्ष्या द्वेष के बने शिकार महाराणा सांगा जब

किया अपनों ने ही उनका वध राज सिंहासन के लालचवश,


अब थी दृष्टि राज कुंवर पर भी बचे न कोई उतराधिकारी

खूनी तलवार मनशा काली लिए.. अब थी कुंवर की बारी,


पन्ना को जब लगा ये ज्ञान उड़ गए उसके सारे होश हवास

 राज कुंवर की रक्षा हेतु सोची एक युक्ति मन में भर साहस,


कर कलेजे को कठोर अपने गोद में लिया अपना लाल

सुला दिया कुंवर की शैय्या पर कोने छिपी रोए बदहाल,


तलवार लिए आया जब मारन करने लगा वार पर वार

लाल किया रक्त से शयन कक्ष सोचा कुंवर को गिराया मार,


पन्ना का लाल चढ़ा बलि कुंवर की जान बचाने को

मातृत्व चढ़ा त्याग की सूली राजवंश आगे बढ़ाने को,


पार की चित्तौड़ की रेखा कुंवर को सर टोकरी बैठाए 

अपने लाल की बलि देकर भावी राजा के प्राण बचाए ,


इस सर्वोच्च दीप दान से हुऐ नत_ मस्तक सभी ज्ञानी

पन्ना धाय का त्याग शौर्य से मैंने पुनः रची कथा पुरानी।


     


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