पंछी
पंछी
था एक पंछी
अपने घर से दूर
उड़ता था
कभी इधर-कभी उधर
जाना था
अपनी मंजिल की और
रहता था
उखड़ा-उखड़ा
याद आ रही थी
अपने घर की
था उसका घर
एक दम छोटा
मगर
उसमें था प्यार
पंछी उड़ता रहा
कभी इधर-कभी उधर
बस, तलाश है
कि कब वह चलाा जाए
अपनी मंजिल की ओर...