Gurminder Chawla

Abstract

3  

Gurminder Chawla

Abstract

पल भर (कविता )

पल भर (कविता )

1 min
327



पलभर मुझको ज़ीने दो

तेरी यादो से मिलने दो

तू न मिल पाई तो क्या ,

तेरी यादो की महक बिखरने दो

कैसा रंग रूप था तेरा

कैसे नयन थे तेरे ,

खवाबों मे बस खोने दो

हकीकत मे न मिल सकी तुम

बस पल भर आंसू बहने दो

तुम ही मेरे जीवन की कहानी

आज तो उसको पढ़ने दो

पल भर का साथ तो होने दो

जी भरकर आज यादों में सोने दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract