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Gurminder Chawla

Abstract

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Gurminder Chawla

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पल भर (कविता )

पल भर (कविता )

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पलभर मुझको ज़ीने दो

तेरी यादो से मिलने दो

तू न मिल पाई तो क्या ,

तेरी यादो की महक बिखरने दो

कैसा रंग रूप था तेरा

कैसे नयन थे तेरे ,

खवाबों मे बस खोने दो

हकीकत मे न मिल सकी तुम

बस पल भर आंसू बहने दो

तुम ही मेरे जीवन की कहानी

आज तो उसको पढ़ने दो

पल भर का साथ तो होने दो

जी भरकर आज यादों में सोने दो।


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