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Mahendra Kumar Pradhan

Abstract Children Stories

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Mahendra Kumar Pradhan

Abstract Children Stories

पक्षीराज साईकल

पक्षीराज साईकल

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जेट विमानों की जमाने में

पृथ्वी बन चुका

एक छोटा सा ग्राम है।


कार, बस,मोटरयान , ट्रेन और

बाईक की सवारी से

जीवन में बड़ा आराम है।


पर बदले में दुर्घटना और

अकाल मौतों से त्रस्त

मानव जीवन हराम है ।


धुएं और दूषित वायु के

गरल को शिव बन पीके

नित रो रहा आसमान है ।


इन सुविधायों ने लुटा

शुद्ध हवाओं की जन्नत और

शारीरिक व्यायाम है ।


इसलिए मैंने ठाना है ।

स्वस्थ हवा में निरोग काया

कर व्यायाम पाना है ।


छोड़ के आराम हराम

श्रम का गुण गान कर

जिंदगी को बिताना है ।


विमान की गति को

देने के लिए चुनौती

साईकिल में दो पंख लगाया है ।


सड़कों में तेज भागता भी है

गरुड़ के वेग में उड़ता भी है।

मैंने इसके गति को आजमाया है ।


अब व्यायाम, कसरत भी होगा

वायु प्रदूषण भी रुकेगा

मैं थकुंगा तो उड़ भी जाऊंगा ।


ये मेरे दोस्त पक्षीराज साईकल

के साथ, विश्व का मैं

परिक्रमा कर लौट आऊंगा ।


देखकर मेरे साईकिल और

मेरे हौसलों के उड़ान को

आश्चर्यचकित होगा जमाना ।


मेहनत और संकल्प से

प्रकृति बच सकता है

ये दुनिया को है दिखाना ।







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