पक्षीराज साईकल
पक्षीराज साईकल
जेट विमानों की जमाने में
पृथ्वी बन चुका
एक छोटा सा ग्राम है।
कार, बस,मोटरयान , ट्रेन और
बाईक की सवारी से
जीवन में बड़ा आराम है।
पर बदले में दुर्घटना और
अकाल मौतों से त्रस्त
मानव जीवन हराम है ।
धुएं और दूषित वायु के
गरल को शिव बन पीके
नित रो रहा आसमान है ।
इन सुविधायों ने लुटा
शुद्ध हवाओं की जन्नत और
शारीरिक व्यायाम है ।
इसलिए मैंने ठाना है ।
स्वस्थ हवा में निरोग काया
कर व्यायाम पाना है ।
छोड़ के आराम हराम
श्रम का गुण गान कर
जिंदगी को बिताना है ।
विमान की गति को
देने के लिए चुनौती
साईकिल में दो पंख लगाया है ।
सड़कों में तेज भागता भी है
गरुड़ के वेग में उड़ता भी है।
मैंने इसके गति को आजमाया है ।
अब व्यायाम, कसरत भी होगा
वायु प्रदूषण भी रुकेगा
मैं थकुंगा तो उड़ भी जाऊंगा ।
ये मेरे दोस्त पक्षीराज साईकल
के साथ, विश्व का मैं
परिक्रमा कर लौट आऊंगा ।
देखकर मेरे साईकिल और
मेरे हौसलों के उड़ान को
आश्चर्यचकित होगा जमाना ।
मेहनत और संकल्प से
प्रकृति बच सकता है
ये दुनिया को है दिखाना ।